गर्मियो की छुट्टियों की चहल पहल के बीच कुछ विचार मन में आये। सोचा कुछ लिखूं।
पड़ोस में शर्मा जी हुवा करते थे। एक मध्यम वर्गी परिवार. थोड़े खूँसट किन्तु एक नेक इंसान। गर्मियों की छुटियाँ आते ही Mrs शर्मा की माईके की तैयारी होती और शर्मा जी पे झांझाटो का पहाड़ आन पड़ता। साल भर की मर्दानगी चार हफ़्तों में पत्नी के बिना छू मंतर हो जाती। पत्नी को विदा करते वक़्त बेबस बालक की तरह बेचारे बोल ही पडे 'अरी भगवान ! थोड़ी जल्दी आ जाती तो अच्छा रहता अब् रोज रोज पडोसी की चाय... ' ( शर्मा जी शायद कहना चाहते थे तुम्हारी चाय तो साल भर से पी रहा था मगर स्वाद अब जाके पता चला, मगर उस ज़माने के मर्द थे, आखिर कहते कैसे। )
उधर शर्मा आंटी का दिल पति की स्थिति पे पसीजता तो था मगर अपने महत्तव एवं प्रभुत्वा का उनको इस वक़्त गज़ब का एहसास होता । पत्नी को ये एहसास हो कि पति उसके बिना मायूस और हतास है तो फिर उसको और क्या चाहिए। उन दिनों पत्नयों को यह एहसास प्रकट करने की आदत न थी। पारिवारिक ज़िम्मेदारियों तले दबी नारी को खुद का व्याख्यान गौड़ सा लगता था। पुरुष प्रधानता का जमाना जो ठहरा। बहरहाल इधर शर्मा जी दर-दर की ठोकरें खाते। न ही कनस्तर में आटे का पता , ना चावल में पानी का। ऊपर से पड़ोसियों की मेहरबानी, बेबसी का एहसास दिलाती रहती । अधिकार की आदत को निवेदन में बदलना इतना सरल न था शर्मा जी के लिए। साल भर पत्नी के सहारे थे , रौब अलग , अब् भुगतना ही था. मुझे तो शर्मा अंकल की परिस्थिति सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की "वो तोड़ती पत्थर " वाली नारी से ज्यादा दयनीय लगा करती थी। इंतज़ार में शर्मा जी किसी तरह समय निकलते , पत्नी को रह रह के याद करते और मन ही मन सराहा करते। एक दिन रसोई में खट-खट की आवाज़ के साथ बुदबुदा रहे थे " शुहाशिनी आएगी तो पिछले साल की ही तरह इस साल भी सिनेमा देखेंगे और होटल में खाना खाएंगे। हमारी महरारू कितना ख्याल रखती हैं हमारा , ये प्याज ने तोह रुला ही दिया... हट !"
उधर Mrs शर्मा को भी उनकी चिंता खाये जाती। शर्मा जी के बिना उनको भी किसी पे चिढ़-चिढ़ करने का मौका न मिल पाता। जब उनके पास होती तो दूध उबाल जाने पे अखबार में घुसे शर्मा जी पे सारा गुस्सा फोड़ डालती थी मगर इधर माँ के घर में किसपे इतने हक़ से ऐसा प्रेम प्रकट कर पाती बेचारी श्रीमती जी। अब माँ की छोटी बच्ची तो रही नहीं। खैर वह भी एक दौर था।
अब नया दौर है , शर्मा जी के एक ही सुपुत्र हैं Mr सिद्धार्थ शर्मा। उनको आजकल लोग Sid या फिर dood (dude ) बुलाया करते हैं. एक कन्या तोह सिर्फ "Si" पे ही सिमटा देती हैं। Sid की शादी हुवी बच्चे भी हुवे। Sid की Darling spouse हैं MS रीता बर्मा। ( गलती से Mrs न लगा दें ) . कुछ पार्टियों में सिड अपनी पत्नी को "शी इज़ माय पार्टनर" करके भी मिलवाया करते हैं । ये आजकल कुछ ज्यादा कूल लगता है। वाइफ , वीबी , पत्नी थोड़ा घिसा-पिटा सा लगता है। Among Divas ( ladies) she is called "Ri", just the "Ri babe". शर्मा जोड़े में भी प्रेम हुवा करता था जो उनको पता नहीं था। Sid-n -Ri के लिए लोग बोलते हैं "They are damm romantic couple. They express a lil more than they actually do. Especially in Public"
गर्मियों की छुट्टियां अब भी पड़ती हैं। Here Sid eagerly waits for the summers to come. He has his plans meticulously planned with scotch , vodka, tub, pitcher, pub hopping, guys gang etc and is more excited than he was for his first date. And then finally the time comes and fortunately wife does not cancel her plans. And now Sid is king. Unlike his dad's time, Sid has everything at home running smoothly. Everything is completely outsourced and automated ( except for romancing with wife Thank God).
Ri is having her sweet time catching up with some forgotten skills like cooking with ma ( पता नहीं किसलिए ). Ri left corporate Job sometime back. She tells ma “I was fed up with the peer pressure, office politics. See mom, Men and women both do not like a women as their boss. Every women is jealous of every other women and men are MCP by DNA. और वैसे भी माँ मेरी सैलरी से थोड़ेहीना घर चलना है। और आप ही न कहती थी कि बेटा तू नौकरी कर मगर लड़का ऐसा ढूंढना कि तुझे नौकरी ना करनी पड़े। Sid is just that. Mom your Damadji is capable enough, he makes a lot to take care of us. And I have made enough for my shopping, don’t have to ask Sid for it. So I am just chilling”.
शर्मा जी बीवी पे रौब ज़रूर जमाते थे और सोचते थे कि उनकी बीवी उनके काबू में है। परन्तु गहराई में जाया जाय तोह किंग तो श्रीमती जी ही थी, दरअसल शर्मा जी कई मामलों में अपनी श्रीमती के गुलाम थे। ये लड़का Sid स्मार्ट है। Sid is always at his toes when wife commands . And “Ri” is happy thinking that her husband is in her complete control.परन्तु गहराई से देखें तोह यहाँ परिस्थिति एकदम उलट लगती है।
किसी दोस्त ने एक बार चर्चा में कहा "Interestingly the women liberalization seem to have liberated the men". उसकी बात पूरी तरह मानी या खारिज नहीं की जा सकती है। मगर आदमी ज्यादा नहीं बदला है। बल्कि पहले से ज्यादा ज़िम्मेदार एवं सवेंदनशील हो गया है। इस छोटी कहानी के आधार पे निकाला गया निर्णय हालाँकि संकीर्ण होगा, मगर विश्लेषण के लायक ज़रूर है। As Spiderman says “Authority comes with ownership. Liberty and ownership are opposite side of the same coin ”. बहरहाल विषय को ज्यादा गंभीर ना किया जाय।
इधर Sid के कुछ ही दिन बचे हैं फिर Ri आने वाली है। ऐसा नहीं है की उसको "Ri " का इंतज़ार नहीं है। Sid कहता है "यार बीवी होनी ज़रूर चाहिए परन्तु ऐसे जैसे कि नहीं हो " अब ऐसा तो भगवान् विष्णु अपने साथ भी नहीं कर पाए। नादान है अपना Sid . Sid के दोस्त भी मायूस हैं , सोच रहे हैं कुछ दिनों बाद अपना Sid ऐसा नहीं रह पायेगा , पब के बजाय groceries में और खेल के मैदान के बजाय चिल्ड्रेन्स पार्क में ज्यादा दिखेगा। ऑफर भी कर रहे हैं 'dude, we’ll book another flight tickets for your wife and kids, ask them to stay back another month and relax'
इधर शर्मा जी आजकल के तौर तरीके से काफी प्रभावित हैं। कहते हैं "यार हमारी तोह ज़िन्दगी इस लमरेटा को झुकाते झुकाते झुक गयी, और फिर ये मारुति ८०० ली तो बच्चे कहते हैं छोटी है.... कमाल है। " रिटायर हो गए हैं। अपने और पत्नी के लिए iphone ले लिए हैं. फसबुकिंग में महारत हासिल कर चुके हैं । व्हट्सप्प पे अपने सरकारी डिपार्टमेंट के बुढ़ाये दोस्तों का ग्रुप बना लिया है। रोज़ सवेरे पूजा-पाठ से पहले गुड मॉर्निंग मैसेज ज़रूर भेजते हैं. और अब तो व्हाट्सप्प जोक्स का चस्का भी सर चढ़ चुका है। ट्रंक कॉल से स्मार्ट फ़ोन का सफर शर्मा जी को अद्भुत लगता है।
Mrs शर्मा अब वैसी नहीं रही। एकदम कॉन्फिडेंट हो चुकी हैं। अब वह भी chill करने पे विस्वाश करने लगी हैं। Facebook पे अपनी प्रोफाइल बदलती रहती हैं, और शर्मा जी बगल के कमरे से लाइक ढोक के कमेंट लिख देते हैं "OMG u look so beautiful, missing u swthrt". बच्चों ने मम्मी-पप्पा को unfriend कर दिया है मगर शर्मा जी नहीं मानाने वाले। जोश नया है कहते हैं " हटा सावन की घटा अब ज़िन्दगी में हमको जस्ट चिल करना हैं।" चाय छोड़ दी है। कहते हैं diabetes है , हालाँकि असल वजह कुछ और थी।
एक दिन Mrs Sharma फेसबुक अध्यन्न में थी, शर्मा जी चाय की चरस बो रहे थे तो आंटी ने शर्मा जी को डपट ही दिया
'कभी तुम भी बना लो , और तुम कह रहे थे फोटो अच्छी लग रही है। मगर फ़ोन में घुस के लाइक तो उस कलमुही, मोटी निम्मी को किया है तुमने।
शर्मा जी बुदबुदाए
'Dusky n Curvy हैं निम्मी जी '
'क्या बड़बड़ा रहे हो '
'कुछ नहीं फ़ोन की आदत नहीं है ना गलती से हो गया होगा' सहमाये से शर्मा जी फ़ोन को झटक के बोले
फेसबुक के प्रेशर की मारी आंटी पलटी, त्योरियां चढ़ा के बोली
'मैं जा रही हूँ पारलर, चाय खुद बना लो ।'
'अबकी मेरी फोटो थोड़ा अच्छी खींचना, फेसबुक के लायक। एक भी काम ढंग से नहीं आता आपकों। वो इफ़ेक्ट कैसे डालते हैं वो भी नहीं आता होगा '
शर्मा जी ने चाय ही छोड़ दी। उस दिन मार्क ज़ुकरबर्गुआ ने शर्मा जी की चाय का ऑपेरशन शट डाउन करा दिया। शर्मा जी को ज़ुकरबारगुवा एवं andriodwa फिर भी बेहद पसंद है। आजकल "होम टी डिलीवरी " का अप्प ढूंढ रहे हैं।
में भी इस लेख के बाद फिर से कोशिश करूंगा , मेरी घराड़ी भी मइके जाए। मैंने अपनी श्रीमती को बोला "आखिर माँ-बाप के प्रति भी तो कुछ स्नेह होना चाहिए तुम जाओ १-२ महीने के लिए माईके , में रह लूँगा किसी तरह दर-दर की ठोकरें खा के , और मन भी तुम्हारे बिना कहाँ लगता है मेरा ". परन्तु मेरी बीवी अब मेरी ही तरह हो चुकी है , जितनी चिंता मुझको उसके लिए हो रही है उतनी ही चिंता उसे भी मेरे लिए हो रही है। उसने भी यही बोला मेरा भी मन कहाँ लगेगा तुम्हारे बिना. में यहीं रहूंगी। और तुम्हारा ढंग से ख्याल रखूंगी " इस प्रेम में बहुत दबाव है। हाय री किस्मत मैं कब बीवी को कुछ दिनों के लिए मिस कर पाउँगा ।
No comments:
Post a Comment